मित्रों हम एक लोकतान्त्रिक गणराज्य में जी रहें है जहाँ हमेशा कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। मैंने अपने वास्तु सलाहकार के रूप में बिताए वर्षों में अनेकानेक नेताओं के घर और ऑफिस देखे , उनके व्यक्तित्व को भी करीब से देखा, उनकी इच्छाओं आकांशाओं को भी समझने का प्रयास किया। इस सब ने मुझे पुरे जीवन के अनुभव को इस पुस्तक के रूप में लिखने की प्रेरणा दी। मैंने पाया था ककि हर राजनेता के जीवन की धुरी चुनाव है चुनाव वो वैतरणी है जिसके उस पार सर्व सुविधा युक्त आलीशान जीवन है समाज को अपने अनुसार चलने कि शक्ति है, पैसा है, प्रसिद्धि है,यानि सब कुछ है और इस पर एक मायूसी भरा जीवन और ५ वर्ष का इंतजार है।
इस पुस्तक में मैंने न केवल वास्तु शास्त्र के सिद्धांतो में चुनाव जितने के मूलमंत्र की खोज निकलने का प्रयास किया है वरन हमारे देश में प्राचीन कल से प्रचलित अनेकानेक विद्याओ के अतिरिक्त , व्यवहार विज्ञान (Behaviour Science ) Body language तथा संधिवार्ता कौशल (Negotiation Skill ) अदि के कुछ सिद्धांतो को भी इसमें शामिल किया है।
पूजा पाठ की परम्पराओं, टोने टोटके आदि, तथा फेंग शुई के भी कुछ विश्वासों को भी अनुलग्न के रूप में शामिल किया है ताकि यह पुस्तक हर राजनितिक कार्यकर्ता के लिए एक मार्ग दर्शिका (Guide ) का कार्य करे। यहाँ यह स्पष्ट कर दूँ कि मैं स्वयं इन सारी विद्याओं का न तो विशेषज्ञ हूँ न ही उनका पूरी तरह समर्थन करता हूँ किन्तु कहा गया है कि युद्ध और प्यार में सब जायज है इसीलिए मैंने 'चुनाव ' को एक युद्ध मान कर इन धूसर क्षेत्र ( Gray Areas )की बातों को भी पुस्तक में स्थान दिया है।
मैं अपने वास्तुशास्त्री मित्रों से इस बात के लिए क्षमा चाहता हूँ कि मैंने इसमें वास्तु शास्त्र से इतर विषयों को भी शामिल किया। मित्रो मेरी पुस्तक कोई आदर्श या चरित्रवान नेता बनाने के लिए नहीं बल्कि एक सामान्य नेता जो ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक चुनाव जितने में सहायता प्रदान करे, इस ध्येय को लेकर लिखी गई है। साथ ही मै ये आशा करता हूँ कि यह पुस्तक उन समाया व्यक्तिओ के लिए भी, जो चुनाव की प्रक्रिया को जानना चाहते है या अपने घर एवं कार्यालय के वास्तु की व्यवस्था को कुछ हद तक अपने आप ठीक करने की इच्छा रखते हैं उपयोगी सिद्ध होगी।
इस पुस्तक में मैंने यथासंभव बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया है यहां तक कि कहीं-कहीं रोजमर्रा की जिंदगी में बोले जाने वाले अंग्रेजी के शब्द भी इसमें आपको मिल जाएंगे।
आशा करता हूं मैं यहां पुस्तक सभी के लिए विशेषकर राजनीतिक क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
एक अद्भुत उपयोगी पुस्तक वास्तु शास्त्र की वैज्ञानिकता पर अब बहुत अधिक संदेह की आवश्यकता नहीं है। बशर्ते वह प्रामाणिक और अनुभवी लोगों के माध्यम से हम तक पहुँचे।
पेशे से चार्टर्ड इंजीनियर डॉ. अनिलकुमार वर्मा की पुस्तक 'विजय चुनावी वास्तु' (कैसे जीते चुनाव वास्तु की सहायता से) अपने आप में एक अभिनव पुस्तक है, जिसमें उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि अगर चुनाव में किसी को सफल होना है, तो किस तरह की रणनीति का सहारा ले । वर्मा जी वास्तु विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान भी देते रहे हैं। निरन्तर वास्तु विषयक शोध करके उन्होंने जो ज्ञान अर्जित किया है, वह इस पुस्तक में प्रतिबिंबित होता है। इन्होंने अपनी पुस्तक में प्राचीन काल से चली आ रही कुछ विधाओं का प्रमाणिक उल्लेख किया है। कुछ सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं, जिसके सहारे राजनीतिक चुनाव जीते जा सकते हैं। सच्चाई यह भी है कि टोने-टोटके या किसी मंत्र का सहारा लेकर कोई नेता चुनाव नहीं जीत सकता । लेकिन अगर सही रणनीति हो, तो उसे सफलता मिल सकती है। उम्मीदवार किस पार्टी के टिकट से लड़ रहा है,
उसके घर का वास्तु किस तरह का है , उसके पार्टी कार्यालय का वास्तु कैसा है, चुनाव हेतु प्रचार-सामग्री का कलेवर, होर्डिंग की डिजाइन, प्रत्याशी का प्रचार-प्रसार और उसकी जनसभा कैसी है, इन सब बातों का आम मतदाता में गहरा असर पड़ता है। अब तो सोशल मीडिया का भी दौर है। उसका कैसे इस्तेमाल करें, इसकी भी सुंदर जानकारी लेखक ने दी है। पुस्तक में एक अध्याय है 'राजनीतिक संधिवार्ता में वस्तु का उपयोग' । इसमें उन्होंने बताया है कि राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि वह अपने आप को लोगों के बीच किस तरह प्रस्तुत करता है । नेता का घर, उसका रहन-सहन, उसका समूचा व्यक्तित्व, उसकी बॉडी लैंग्वेज और उसका व्यवहार सफलता के लिए बहुत मायने रखता है। एक कुशल नेता को अच्छा श्रोता भी होना चाहिए।
उसकी वाणी मधुर होनी चाहिए ।उसमें बेहतर संप्रेषण कौशल भी होना चाहिए । इन सारी विशेषताओं के सहारे अगर कोई नेता चुनाव लड़ता है, तो निः संदेह इसका लाभ उसे मिल सकता है। ऐसे असंख्य उदाहरण हमारे सामने हैं। कहने का आशय यह है कि सुव्यवस्थित रणनीति और संतुलित व्यवहार भी वास्तव में वास्तु से कम नहीं। यही असली मंत्र है चुनाव जीतने का, जिसे बहुत रोचक ढंग से वर्मा जी ने प्रस्तुत किया है। वे वस्तु और जियोपेथिक स्ट्रेस सलाहकार हैं। उनकी यह पुस्तक जब प्रकाशित हुई थी तो अनेक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इसे हाथों-हाथ ले करके आजमाया भी था। इस पुस्तक की लोकप्रियता का यही सबसे बड़ा उदाहरण है कि इसका दूसरा संस्करण आ रहा है ।
मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक राजनीति में रुचि रखने वाले और चुनाव लड़कर जनप्रतिनिधि बनने की इच्छा रखने वाले नेताओं के लिए फायदेमंद साबित होगी। वर्मा जी के शब्दों में ही कहूँ,तो निसंदेह यह पुस्तक प्रत्येक राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए आवश्यक हैंडबुक से काम नहीं है। यह पुस्तक चुनाव आयोग के लिए भी फायदेमंद है। कैसी चुनावी व्यवस्था भी करें, ताकि शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न हो सके, इसके सुंदर टिप्स भी वर्मा जी ने अपनी इस पुस्तक में दिए हैं।
इस अभिनव पुस्तक के लेखक डॉ.वर्मा को हार्दिक शुभकामनाएँ! इनके उत्कृष्ट कार्यों को देख कर ही तो इन्हें विश्व ज्योतिष अध्यात्म विश्व विद्यापीठ जैसी प्रामाणिक संस्था ने डॉक्टर ऑफ फिलासफी की उपाधि भी प्रदान की। उम्मीद है कि यह पुस्तक अब और अधिक लोगों तक पहुँचेगी।राजनीति में रुचि रखने वाले नेता और चुनावी रण में उतरने वाले प्रत्याशी इस पुस्तक का गंभीरता के साथ अध्ययन करेंगे तो उन्हें चुनाव में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्हें यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए और हमेशा अपने पास रखकर इस में दिए गए टिप्स को का यथसम्भव पालन भी करना चाहिए।
मित्रों आज (14.11.23) का दिन सौभाष्यशाली रहा। आज छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री आदरणीय ताम्रध्वज साहू जी, सांसद आदरणीय सुश्री सरोज पांडे जी, तथा दुर्ग विधायक आदरणीय अरुण वोरा जी को अपनी पुस्तक "विजयी चुनावी वास्तु(कैसे जीतें चुनाव वास्तु की।सहायता से" भेंट की। सांसद सुश्री सरोज पांडे जी ने पुस्तक की अतिरिक्त प्रति प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के लिए भी ली है। जिसे वे अपने अगले दिल्ली प्रवास के समय साथ ले जाएंगी।